अमृतसर फर्जी एनकाउंटर केस: 31 साल बाद CBI स्पेशल कोर्ट ने तीन पुलिसकर्मियों को सुनाई उम्र कैद; परिवार ने कहा- देर है अंधेर नहीं

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अमृतसरएक घंटा पहले

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मृतक हरजीत सिंह कत्ल केस में पुलिसकर्मियों को उम्र कैद की सजा। - Dainik Bhaskar

मृतक हरजीत सिंह कत्ल केस में पुलिसकर्मियों को उम्र कैद की सजा।

CBI की अदालत ने 1992 में फर्जी मुठभेड़ मामले में फैसला सुनाते हुए अमृतसर के तीन तत्कालीन पुलिसकर्मियों इंस्पेक्टर धर्म सिंह, एएसआई सुरिंदर सिंह व गुरदेव सिंह को उम्र कैद की सजा सुना दी है। इसके साथ ही तीनों पुलिसकर्मियों को दो लाख जुर्माना भी किया गया है। साल 1992 में तीन युवकों हरजीत सिंह, लखविंदर सिंह और जसपिंदर सिंह का 9 पुलिसकर्मियों ने फर्जी एनकाउंटर कर दिया था।

31 साल बाद पिता की मौत का इंसाफ मिलने के बाद मृतक हरजीत सिंह के बेटे बुटर सेवियां निवासी रामप्रीत सिंह ने कहा कि वह एक साल के थे, जब उनके पिता का इन पुलिसवालों ने कत्ल कर दिया था। भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। रामप्रीत सिंह ने बताया कि परिवार एक समय हिम्मत हार गया था। लगा था, इंसाफ नहीं मिलेगा। लेकिन दादा ने हिम्मत नहीं हारी। पूरी जिंदगी उसने अपने पिता के बिना गुजारी है।

इस मामले में CBI द्वारा 57 गवाहों को रखा गया था और 9 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई थी। लेकिन इन इन 31 सालों में जहां 5 आरोपियों की मौत हो गई, वहीं 27 गवाह भी नहीं रहे।

अप्रैल 1992 को उठाया था हरजीत सिंह को

इस मामले में मृतक हरजीत सिंह के पिता ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट दायर की थी। तब मृतक के पिता को पता नहीं था कि पुलिस उनके बेटे का कत्ल कर चुकी है। पिता ने आरोप लगाया था कि उनके बेटे हरजीत सिंह को पुलिस ने 29 अप्रैल 1992 को अमृतसर के सठियाला के पास ठठियां बस स्टैंड से उठाया था और मॉल मंडी के इंटेरोगेशन सेंटर में रखा।

1997 में CBI को सौंपी थी जांच

हाईकोर्ट ने तुरंत एक्शन लेते हुए पुलिस की अवैध हिरासत से हरजीत सिंह की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए एक वारंट अधिकारी को नियुक्त किया था। मामला आगे बढ़ाते हुए हाईकोर्ट ने दिसंबर 1992 में डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज चंडीगढ़ को इस मामले में न्यायिक जांच का आदेश जारी कर दिया। जिसकी रिपोर्ट को साल 1995 में प्रस्तुत किया गया था। रिपोर्ट के आधार पर 30 मई 1997 को हाईकोर्ट ने इस केस की जांच CBI को ट्रांसफर कर दी।

पुलिस ने शव भी परिवारों को नहीं सौंपे

साल 1998 में CBI ने मामला दर्ज किया और जांच पाया कि हरजीत सिंह का दलजीत सिंह उर्फ ​​मोटू, सतबीर सिंह और एक अन्य व्यक्ति ने 29 अप्रैल 1992 को बस स्टैंड ठठियां से अपहरण कर लिया था। 12 मई 1992 को दो अन्य व्यक्तियों लखविंदर व जसपिंदर सिंह के साथ हरजीत सिंह हत्या कर दी गई थी।

तत्कालीन SHO पीएस लोपोके के SI धर्म सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस पार्टी ने इसे पुलिस मुठभेड़ दिखाया। इतना ही नहीं, उनके शवों को भी परिवार को नहीं सौंपा गया। पुलिस ने तीनों के शवों का लावारिस के रूप में अंतिम संस्कार भी कर दिया था।

9 के खिलाफ दर्ज हुई थी चार्जशीट

इस मामले में, CBI ने पंजाब पुलिस के 9 अधिकारियों इंस्पेक्टर धर्म सिंह, एसआई राम लुभाया, एचसी सतबीर सिंह, दलजीत सिंह उर्फ ​​मोटू, इंस्पेक्टर हरभजन राम, एएसआई, सुरिंदर सिंह, एएसआई गुरदेव सिंह, एसआई अमरीक सिंह और एएसआई भूपिंदर सिंह के खिलाफ IPC की धारा 364,120-बी, 302 और 218 के तहत आरोप पत्र पेश किया था।

लेकिन उनमें से 5 आरोपियों हरभजन राम, राम लुभाया, सतबीर सिंह, दलजीत सिंह और अमरीक सिंह की सुनवाई के दौरान मौत हो गई और एक आरोपी भूपिंदर सिंह को PO घोषित कर दिया गया है। वहीं, इंस्पेक्टर धर्म सिंह, एएसआई सुरिंदर सिंह व गुरदेव सिंह को दोषी करार दे दिया गया है।

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