बुरहानपुर (म.प्र.)28 मिनट पहले
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कांग्रेस की जन आक्रोश यात्रा खरगोन से निकलकर रात करीब 9 बजे बुरहानपुर पहुंची। इकबाल चौक में सभा रखी गई थी। इस दौरान कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई। इस दौरान कांग्रेसी आपस में ही भिड़ गए। एक अल्पसंख्यक नेता को बोलने नहीं देने पर विवाद इतना बढ़ा कि सामने से कांग्रेस मुर्दाबाद के नारे तक लग गए। वहीं अल्पसंख्यक नेता फरीद काजी ने कहा कि मुझे समाज की बात रखने से रोका गया। कहा गया कि अगर ऐसा करोगे तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। फरीद काजी पूर्व बुरहानपुर विधायक हमीद काजी के भतीजे है।
जन आक्रोश यात्रा में पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया, अभा कांग्रेस कमेटी के सचिव संजय दत्त, मप्र युवक कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, कांग्रेस के बुरहानपुर जिला प्रभारी कैलाश कुंडल सहित अन्य नेता मौजूद थे। जबकि निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेंद्र सिंह शेरा भैया मंच से दूर बैठे नजर आए। कांतिलाल भूरिया की तबीयत खराब होने पर वह पहले ही मंच से बिना कुछ बोले चले गए थे।

कांग्रेस के अल्पसंख्यक नेता फरीद काजी मंच से भाषण दे रहे थे। इसी दौरान उन्हें शहर कांग्रेस अध्यक्ष रिंकू टॉक ने बोलने से रोक दिया। इसके बाद वहां जमकर हंगामा हो गया। फरीद काजी के समर्थक कांग्रेस मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे।
सज्जन सिंह वर्मा बोले- बुरहानपुर को बदनाम करने का काम मत करो
इस दौरान पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि मुल्क के हालात में मेहफूज रखें। इन बातों में अपना किरदार सुधरना चाहिए। यह कांग्रेस है तो हम हैं। कांग्रेस ने कभी जाति पाती की बात नहीं की। कभी हिन्दू मुसलमान नहीं किया। कांग्रेस का एक नारा है न जात पर न पात पर मोहर लगेगी हाथ पर।
कठिन घड़ी को विचार करने की कोशिश करो। हम भी संघर्ष कर रहे हैं तुम भी संघर्ष करो। कभी तुम अपने को अकेला समझो न हम समझें। एक भाई दूसरे का हाथ पकड़कर चले तो मंजिलें आसान हो जाती है। इस तरीके से हमको सोचना पड़ेगा। क्यों बुरहानपुर को बदनाम करते हो।
अखबार आपके ये मसले ही छापेगा
ऐसा रखो कि अखबार हमारी तकरीर नहीं छापेगा। आप जो मंच पर खड़े होकर मसले कर रहे हो यह छापेगा। आज आपका नाम छप जाएगा। क्या इससे कांग्रेस मजबूत होती है। इससे कौम मजबूत होगी। अपनी कौम का हाथ इतना मजबूत रखो।
वहीं कांग्रेस जिला प्रभारी कैलाश कुंडल ने कहा कि बुरहानपुर में जनआक्रोश यात्रा पहुंची थी। कांतिलाल भूरिया का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने से वह रेस्ट हाउस में चले गए। सभा सफल हुई है।
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