भोपाल37 मिनट पहलेलेखक: विजय सिंह बघेल
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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस नेताओं में उत्साह है। राहुल की यात्रा के बाद कर्नाटक के चुनाव परिणामों ने भी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित किया है। राहुल गांधी की इस पदयात्रा से प्रेरित होकर सीहोर जिले के आष्टा के रहने वाले चार बच्चे 101 किमी की पदयात्रा कर भोपाल पहुंचे। कमलनाथ को सीएम बनाने की मंशा लेकर इन छोटे बच्चों ने भीषण गर्मी में आष्टा से भोपाल तक का सफर तय किया। भोपाल में बुधवार को पीसीसी चीफ कमलनाथ को इन चारों बच्चों ने गुल्लक भेंट की।
सबसे पहले जानिए कौन हैं ये चारों बच्चे
भोपाल से सटे सीहोर जिले के आष्टा कस्बे के रहने वाले चार भाई बहन राजकुमार परमार (16 साल), जिया परमार (15 साल), जतिन परमार (13 साल) और यशराज परमार (9 साल) आपस में भाई बहन हैं। इनके पिता एक गैर सरकारी संगठन के जरिए स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप मुहैया कराते हैं। इन चारों बच्चों में सबसे बड़े 16 साल के राजकुमार परमार और 15 साल की जिया परमार 11वीं में पढ़ते हैं। 13 साल के जतिन परमार 9वीं पास कर चुके हैं, तो 9 साल के यशराज परमार 5वीं पास कर छठवीं में पहुंचे हैं।

कमलनाथ को गुल्लक भेंट करते यशराज परमार, और उनके भाई-बहन।
ऐसे आया भोपाल तक पदयात्रा का विचार
तीन भाईयों के साथ पैदल भोपाल पहुंची जिया परमार ने दैनिक भास्कर को बताया कि हमने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में 5 राज्यों में 42 दिनों तक पदयात्रा की थी। इस पदयात्रा में जिस तरह से लोगों की परेशानियां देखीं और देश के अलग-अलग राज्यों में जमीनी हकीकत को देखा उससे मन में बहुत दुख हुआ। फिर हमने सोचा कि हम चारों भाई-बहन अपने यहां भी ऐसी यात्रा करेंगे। कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए लोगों को जागरूक करेंगे। जब राहुल जी की यात्रा खत्म हुई, उसके बाद हमारे एग्जाम आ गए। हमने मार्च में परीक्षा दी। उसके बाद अप्रैल के महीने में हमारे परिवार में एक शादी आ गई। हमने वो शादी का प्रोग्राम पूरा किया उसके बाद राजीव गांधी की पुण्यतिथि को यादगार बनाने के लिए हमने आष्टा से भोपाल तक पैदल चलने का फैसला किया।
101 किलोमीटर पैदल चलकर भोपाल पहुंचे
21 मई को पूर्व पीएम राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर आष्टा की कृषि उपज मंडी समिति के सामने से स्थानीय नागरिकों, कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी में चारों भाई बहनों ने पदयात्रा शुरु की। रोज सुबह 6 बजे से दोपहर 11 बजे तक चारों बच्चे पदयात्रा करते और फिर दोपहर में विश्राम करते। शाम 4 बजे फिर पदयात्रा शुरू होती और शाम 7-8 बजे यात्रा विश्राम के लिए रुक जाती। इस दौरान बच्चे ग्रामीणों, बच्चों, महिलाओं से मिलते और उनकी समस्याएं समझते। बुधवार को चारों बच्चे भोपाल में कमलनाथ के बंगले पर पहुंचे। उन्हें गुल्लक भेंट की।
टीम गुल्लक के नाम से बनी पहचान
इन चारों बच्चों में सबसे छोटे मात्र 9 साल के यशराज बताते हैं कि जब भारत जोड़ो यात्रा निकल रही थी, उस वक्त हम टीवी, अखबारों में खबरें देखते, पढ़ते थे। हमें लगा कि राहुल गांधी को करीब से देखने के लिए हम भी पदयात्रा करेंगे। परिवार जनों ने पहले रोका लेकिन फिर हमारी जिद के आगे सबने हां कर दी। हमारे बुआ के बेटे एनएसयूआई में वर्कर हैं। वे हमें लेकर बुरहानपुर पहुंचे। यहां हम चारों ने पहले दिन करीब 23 किलोमीटर की पदयात्रा की, लेकिन हमारी मुलाकात नहीं हो पाई। अगले दिन शाम को हमारी राहुल गांधी से मुलाकात हो गई। उन्होंने हमारे बारे में पूछा, लेकिन उस दिन हम लोग गुल्लक भेंट नहीं कर पाए। अगले दिन शाम को हमने राहुल गांधी को गुल्लक भेंट की।
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