मुजफ्फरपुर27 मिनट पहले
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शमशुल का परिवार
मुजफ्फरपुर में हुए नाव हादसे में मो. शमशूल की भी मौत हो गई। वह घर का एकलौता कमाने वाला था। मोहल्ले के लोगों की मदद से उसका अंतिम संस्कार किया गया। दो दिनों से घर में खाना तक नहीं बना। घर के बच्चे भूखे थे। सब का रोरोकर बुरा हाल था। वह कान से थोड़ा ऊंचा सुनता था। वह मजदूरी करके अपनी बुजुर्ग मां, पत्नी व तीन छोटे- छोटे बच्चे का गुजारा करता था।
हादसे के दिन घर में कुछ खाने को नहीं था। राशन बांटने की सूचना पर वह घर से झोला लेकर निकला था। जब नाव पलटी तो उसमें शमशूल भी डूब गया। परिजनों में घटना के बाद से चीख- पुकार मची हुई है। एक बुजुर्ग मां, पत्नी व तीन छोटे- छोटे बच्चे को कौन खाना देगा। इसकी चिंता लोगों को सता रही है।

मो. शमशूल घर का एकलौता कमाने वाला था।
शमशुल की अम्मी ने बताया कि उनके 5 बेटे है। 4 बेटे कई वर्षों पहले गुजर गए। एक बेटा शमशुल बचा था। करीब 12 साल पहले उसकी निकाह हुई थी। उसके निकाह के बाद उसे तीन बच्चे हुए। एक बेटा और दो बेटी है। बेटा मो. अली 9 वर्ष, पांच वर्ष की खुशी और दो साल की अनीशा है।
उसकी पत्नी कौशर खातून गर्भवती है। शमशुल एक मात्र घर में कमाने वाला था। वह मेहनत मजदूरी करके मां, पत्नी और बच्चो की देखभाल करता था। उसके जाने से घर के लोग दाने-दाने के मोहताज हो गए है। वे लोग अब किसके सहारे जिएंगे। इस बात की चिंता शमशुल की मां और पत्नी को सता रही है।

बुजुर्ग मां हलीमा खाटू
सुष्मिता के शव मिलने के बाद परिजनों में मची चीख- पुकार
10 वीं की छात्रा सुस्मिता का शव मिलने के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। सुष्मिता अपनी चचेरी बहन राधा के साथ स्कूल जा रही थी। नाव हादसे में दोनों बहने डूब गई थी। राधा का अब तक शव नहीं मिल सका है। उसकी तलाश में एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम लगी हुई है। वही, सुष्मिता का शव मिलने के बाद पोस्टमार्टम के लिए सीएचसी में भेजा गया। जहां उसका पोस्टमार्टम किया गया। पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजन के हवाले सौंप दिया गया है।
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