छिंदवाड़ा को ख्याति दिलाने वाले दीपक नहीं रहे: पातालकोट की जड़ी बूटियां को जंगल लेबोरेट्री’ बुक के माध्यम से दिलाई थी ख्याति, नागपुर में ली अंतिम सांस, छिंदवाड़ा में हुई अंत्येष्टि

MP

छिंदवाड़ा6 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

छिंदवाड़ा में जन्मे और पातालकोट की जड़ी बूटियां की ख्याति दूर-दूर तक फैलने वाले मशहूर लेखक डॉ दीपक आचार्य का नागपुर में उपचार के दौरान निधन हो गया। उनके निधन से छिंदवाड़ा में शोक का माहौल है, जंगल लेबोरेट्री’ के लेखक डॉ. दीपक आचार्य अभुमका हर्बल प्रा.लि. अहमदाबाद के डायरेक्टर थे।

बीते दिनो जंगल लेबोरेट्री किताब को लेकर सुर्खियो में रहे थे। उनके निधन पर लेखक जगत में शोक की लहर है. हिंद पॉकेट बुक्स (पेंगुइन स्वदेश) सहित तमाम प्रकाशन समूह ने दीपक आचार्य के आकस्मिक निधन पर दुख प्रकट किया है। बताया जा रहा है कि मल्टीपल हार्टअटैक के कारण उनका हार्ट फेल हो गया था। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था।

कोरोना काल में किया था सराहनीय प्रयास

डॉ. दीपक ने कोविड महामारी के दौरान एक सशक्त कोरोना योद्धा की भूमिका निभाई थी। वे हमेशा सजग रहकर घर में ही रहते हुए कोरोना से लड़ने के उपाय बताते थे।

घरेलू उपचार के माध्मय से उन्होंने कई लोगों का जीवन बचाया। वे सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार कई-कई घंटे लोगों को सलाह देते रहते थे। डॉ. दीपक आचार्य पिछले 25-30 वर्षों से मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात के जंगलों की खाक छानते हुए हमारे पारंपरिक हर्बल ज्ञान, वहां के रहन-सहन और खान-पान पर विशेष अनुसंधान कर रहे थे।

डॉ. आचार्य कई सालों से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों, जैसे पातालकोट (मध्य प्रदेश), डांग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहे थे।

डॉ बीपी सिंह ने बताया कि लोक वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में मध्य भारत का चमकता सूरज, पातालकोट छिंदवाड़ा को अखिल भारतीय स्तर पर बहुत कम समय में ख्याति प्रदान करने वाला व्यक्तित्व, प्रकृति प्रेमी, प्रकृति के माध्यम से संपूर्ण जीवन यापन करने का मंत्र देने वाले दीपक आचार्य जी को ऐसे चले जाना दुखद है।

छिंदवाड़ा में हुआ अंतिम संस्कार

अभुमका हर्बल प्रा.लि. अहमदाबाद के डायरेक्टर डॉ. दीपक आचार्य के निधन से छिंदवाड़ा जिले में शोक की लहर है। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को स्थानीय मोक्ष धाम में किया गया। जहां पर उनके परिजनों,मित्रों और शुभचिंतकों ने उन्हें भावभीनी विदाई दी।


Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *