जालंधर14 मिनट पहले
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जालंधर की तहसील लोहियां में धक्का बस्ती का हरमेश जिसकी डूबने से मौत हो गई। हरमेश बाढ़ में टूटे घर की ईंटे निकालने नदी में उतरा था।
जालंधर की धक्का बस्ती (लोहियां, शाहकोट) में देर शाम बाढ़ के पानी में से टूटे घर की ईंटें निकालते हुए एक व्यक्ति की मौत हो गई। धक्का बस्ती का हरमेश जिसका परिवार बाढ़ के पानी में घर टूटने के बाद खुले आसमान के नीचे रह रहा है, सुबह दोबारा फिर घर घर बनाने के लिए पानी में अपने पुराने आशियाने की ईंटें निकालने के लिए निकला था। लेकिन वह बाहर नहीं आया। दर शाम उसकी डैड बॉडी बाहर आई।
गांव वालों का आरोप है कि बाढ़ में मदद के जो दावे किए जा रहे हैं वह सारे झूठे हैं। यदि जमीनी हकीकत देखनी है तो लोग गट्टा मंडी कासो जहां पर धुस्सी बांध टूटने के कारण बह गए धक्का बस्ती में आकर देखें। लोग पानी में टूट कर डूबे पुराने घरों की ईंटों को पानी में डुबकियां मार कर निकाल कर रहे हैं ताकि परिवारों को दोबारा फिर से छत दे सकें।

धक्का बस्ती में मौत की सूचना मिलने के बाद देर रात पहुंचे किसान नेता
हर हार होता है धक्का बस्ती से “धक्का”
धक्का बस्ती में दरिया से टूटे घर की ईंटें निकालते वक्त हुई मौत की सूचना मिलते ही मजदूर किसान संघर्ष कमेटी के सूबा प्रधान सुखविंदर सिंह सभरा, जिला प्रधान सलविंदर सिंह जानियां समेत कई किसान नेता देर रात धक्का बस्ती में किश्ती से दरिया पार कर पहुंचे। किसान नेचताओं ने कहा कि हर बार धक्का बस्ती वालों से “धक्का” होता है। लेकिन किसी भी सरकार ने इनकी सार नहीं ली।
किसान नेताओं ने कहा कि धक्का बस्ती में 40-45 घर बाढ़ के कारण टूट गए हैं। इससे पहले भी पूर्व सरकारों के समय जब बाढ़ड आई थी उस वक्त भी इन्हें अपने घर गंवाने पड़े थे। धक्का बस्ती के लोग सरकार से कई सालों से मांग करते आ रहे हैं उन्हें यहां से बाहर निकाल कर जगह देकर किसी सुरक्षित स्थान पर बसाया जाए। लेकिन न तो मौजूदा सरकार ने उनकी सुनी न ही पिछली सरकारों ने कोई ध्यान दिया।
मंडी से भी लोगों को उठाया जा रहा
लोगों का कहना है कि जब उनके घर बाढ़ के पानी में टूट कर डूब गए तो नेताओं ने सहानुभूति लेने के लिए उन्हें दाना मंडी में टैंट लगाकर रहने के लिए जगह दे दी। लेकिन अब उन्हें वहां से उठाया जा रहा है। बोला जा रहा है कि फसल का सीजन शुरू होने वाला है और वह अपने तंबू उखाड़ कर ले जाएं। इन हालात में उनके पास पानी से टूटे डूबे घरों की ईंटों को निकालने के सिवा कोई चारा नहीं है।
गांव के लोग रोज सुबह दरिया में डुबकियां लगा-लगा कर पुराने घरों की की ईंटें निकाल कर नया बसेरा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
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