जेनेरिक दवाओं के इस्तेमाल से सांस की बीमारियों के मरीज अपनी दवा के खर्च पर कर सकते हैं 83% तक बचत 

Health


डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। मौसम में आए बदलाव, दिन और रात के तापमान के बीच में भारी अंतर और अधिकांश शहरी इलाकों में धुंध और कोहरे के प्रभाव के कारण सांस की बीमारियों की समस्याएं काफी बढ़ गई हैं। ऐसे में दवाओं के बाजार में भी हलचल तेज हो गई है और यह मौसम आमजन की जेब पर भी भारी पड़ रहा है। लेकिन जेनरिक दवाओं के प्रमुख ओमनी-चैनल रिटेलर मेडकार्ट का अनुमान है कि इस स्थिति में, सांस की बीमारियों के मरीज जेनेरिक दवाओं का इस्तेमाल कर अपने मेडिकल बिल पर 83% तक की बचत कर सकते हैं।

मेडकार्ट के को-फाउंडर अंकुर अग्रवाल के अनुसार “सांस की बीमारियों के इलाज के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में बुडेसोनाइड, फोरमोटरोल और एसिब्रोफिलिन शामिल हैं, जो आम एंटीबायोटिक्स और एंटीहिस्टामाइन से ऊपर हैं। चूंकि बदलते मौसम के कारण सांस संबंधी बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में जेनेरिक दवाओं को अपनाना मेडिकल बिलों को कम करने का अच्छा तरीका है। यदि पेशेंट अपने ब्रांडेड दवाओं के बजाय उन मॉलिक्यूल्स के जेनरिक दवाओं का इस्तेमाल करे, तो वे अपने मेडिकल बिलों में 50% से 83% के बीच की बचत आसानी से कर पाएंगे।” 

मेडकार्ट के अनुमान बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों में, सांस की बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की औसत बिक्री की तुलना में 60% की वृद्धि देखी गई है, जो बीमारी के बढ़ते हुए प्रभाव का संकेत है। अग्रवाल ने आगे कहा कि “मेडकार्ट में, हम मानते हैं कि स्वास्थ्य देखभाल के खर्चे में बेहिसाब वृद्धि होने से औसत भारतीय परिवारों की आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी इसलिए, हमें अपने स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करने के तरीके में बदलाव करने की जरूरत है।  

उन्होंने कहा कि, हर बदलाव की शुरुआत खुद से होती है और हमारा उद्देश्य उपभोक्ताओं के बीच अधिक जागरूकता पैदा करना है कि कैसे वे सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली डब्ल्यूएचओ-जीएमपी प्रमाणित जेनरिक दवाएं अपनाकर अपनी स्वास्थ्य देखभाल के खर्चे को कम कर सकते हैं। ” मेडकार्ट पिछले आठ वर्षों से जेनरिक दवाओं के जरिए लोगों के हेल्थ केयर के खर्चे को कम करके उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला रहा है।  


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