दिव्य दरबार में बांग्लादेश से आई मुस्लिम युवती: पं. धीरेंद्र शास्त्री से कहा- मुझे सनातन धर्म अपनाना है, राम नाम का जाप करने से मिलता है सुकून

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बालाघाट43 मिनट पहले

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बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र शास्त्री का दिव्य दरबार में बांग्लादेश से आई एक युवती पहुंची। उसने सनातन धर्म स्वीकार करने के लिए विनती की। जिसका पं. धीरेंद्र शास्त्री ने स्वागत किया। युवती की माने तो वह यू-ट्यूब से उनके कार्यक्रमों को देखा करती और राम नाम का जाप करने से उसे सुकून मिलता। इससे उसने सोचा कि सनातन धर्म के अलावा कोई दूसरा धर्म नहीं हो सकता। इसी कारण वह बांग्लादेश से वीजा के साथ यहां पहुंची। इस दौरान पं. धीरेंद्र शास्त्री को युवती ने कहा कि वह बिना किसी के दबाव में सनातन धर्म को स्वीकार करने के लिए तैयार है।

दरअसल, बालाघाट के परसवाड़ा के भादुकोटा में दो दिवसीय वनवासी रामकथा का आयोजन हुआ। इसमें दो दिन यानी 23 और 24 मई को पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने दिव्य दरबार लगाया। 24 मई को बांग्लादेश से आई युवती भी शामिल हुई। उसने पं. धीरेंद्र शास्त्री के सामने धर्म बदलने की बात रखी।

दिव्य दरबार में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने लोगों की समस्या सुनी।

दिव्य दरबार में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने लोगों की समस्या सुनी।

हम मजहब के खिलाफ नहीं- पं. शास्त्री

बांग्लादेश से आई युवती स्वागत करते हुए पं. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हम पर आरोप लगते है कि हम उपद्रव करवाते है, लेकिन हम किसी मजहब के खिलाफ नहीं है। ना ही धर्मांतरण पर भरोसा करते है, हमारी कोई भूमिका नहीं है, बस हमारी राम नाम की भूमिका है, लेकिन हमें घर वापसी पर भरोसा है। पं. धीरेंद्र शास्त्री ने वनवासी रामकथा के बाद युवती से मिलने का वादा करते हुए आयुष मंत्री रामकिशोर कावरे को युवती से मिलाने की बात कही। ताकि उन्हें सनातन धर्म में स्वीकार किया जा सके।

24 मई को लगे दिव्य दरबार में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।

24 मई को लगे दिव्य दरबार में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।

पं. धीरेन्द्र शास्त्री ने अर्जीदारों की सुनी व्यथा

24 मई को पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दिव्य दरबार में पहली अर्जी पिता के घर परसवाड़ा आई महिला नेहा और पुरूष में पहली अर्जी केवलारी के बगलई निवासी देवेंद्र, शिवम की लगी। जिन्हें पं. धीरेंद्र शास्त्री ने मंच पर बुलाकर भगवान बालाजी और सन्यासी बाबा की प्रेरणा से अपनी दिव्य दृष्टि से उनकी समस्या का भान कर उसके उपाय के लिए मंत्र चिकित्सा के रूप में मंत्र प्रदान कर कई उपाय भी बताए।


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