धर्म हमें पालता है कि हम धर्म को पालते हैं, इसका जवाब नजरिए में है

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भिंड3 घंटे पहले

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  • आस्था . ऋषभ सत्संग भवन में आयोजित धर्मसभा में आचार्य विनिश्चय सागर ने श्रद्धालुओं की जिज्ञासा का किया समाधान

भास्कर संवाददाता| भिंड

जैनाचार्य विनिश्चय सागर महाराज ने कहा कि एक व्यक्ति को जिज्ञासा हुई कि धर्म हमें पालता है कि हम धर्म को पालते हैं। वह एक संत के पास पहुंचा और उनके सामने अपनी जिज्ञासा रखी। संत ने जवाब दिया कि दोनों ही बात सत्य हैं कि धर्म भी हमें पालता है और हम भी धर्म को पालते हैं। बस स्थिति और देखने का नजरिया है।

आचार्यश्री ऋषभ सत्संग भवन में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक 96 साल के व्यक्ति के मन में विचार आया कि उसे एक विशाल मंदिर बनवाना है, उसने अपनी सारी संपत्ति एकत्रित की और मंदिर का नक्शा बनवाने के लिए इंजीनियर को बुलाया। इंजीनियर मात्र 26 वर्ष का था, उसे शंका हुई इतने वृद्ध व्यक्ति, इतने विशाल मंदिर के निर्माण की आवश्यकता क्यों, उसने उस व्यक्ति से पूछा कि आप मंदिर क्यों बनाना चाहते हैं तो वृद्ध व्यक्ति ने जवाब दिया कि मैं बचपन से मंदिर जा रहा हूं, उसी मंदिर के संस्कार हैं कि धर्म ने आज तक मुझे संभाल रखा है, मुझे पाला है। अब मैं इस मंदिर के माध्यम से कल आने वाले बालकों को संस्कार देने की इच्छा करता हूं ताकि अभी तक जिस धर्म ने मुझे पाला है, अब मैं उसे पाल सकूं।

भगवान शांतिनाथ का अभिषेक किया गया वर्षायोग कर रहे जैनाचार्य विनिश्चय सागर के सानिध्य में शहर के विभिन्न जिनालयों में प्रति रविवार को संपन्न होने वाले महा मस्तिकाभिषेक कार्यक्रम में आज महावीर गंज भिण्ड स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर गुनाबाई में मूलनायक भगवान शांतिनाथ का महामष्तिकाभिषेक, शांतिधारा व आरती का कार्यक्रम युवाओं व बच्चों द्वारा किया गया। आचार्य संघ ने उपस्थित रहकर पूरे विधि-विधान से कार्यक्रम संपन्न कराया। जैनाचार्य द्वारा श्रद्धालुओं की जिज्ञासाओं का भी समाधान किया गया।


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