पंचकुंडीय लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का आयोजन: सीताराम दास महाराज ने सुनाई कृष्ण-रुक्मिणी कथा, बोले- धन का उपयोग परमार्थ में करें

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निवाड़ी15 मिनट पहले

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निवाड़ी नगर के किले के पास चिंताहरण गणेश मंदिर पर पंचकुंडीय लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। वहीं शिवपुराण श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ के छठे दिन शनिवार को गोवर्धन निर्मोही अखाड़ा के कथा व्यास सीताराम दास महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाया।

कथा के दौरान सीताराम दास महाराज ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की बेटी रुक्मिणी के साथ संपन्न हुआ, लेकिन रुक्मिणी को श्रीकृष्ण ने हरण कर विवाह किया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मिणी स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नहीं सकती। यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नहीं तो फिर वह धन चोरी, बीमारी या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है।

धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत: ही प्राप्त हो जाती है। श्रीकृष्ण भगवान व रुक्मिणी के अतिरिक्त अन्य विवाहों का भी वर्णन किया गया। उन्होंने कहा कि भक्ति वह देदीप्यमान सूर्य की तरह है। जिस प्रकार सूर्य के किंचित उदय होने पर रात्रि का अंधकार दूर हो जाता है। उसी प्रकार कृष्ण-नाम का थोड़ा-सा भी प्राकट्य अज्ञान के सारे अंधकार को, जो विगत जन्मों में संपन्न बड़े-बड़े पापों के कारण हृदय में उत्पन्न होता है, दूर भगा सकता है। कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए।


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