बीना में क्रूड ऑयल से बनेंगे प्लास्टिक के दाने: ब्यूटी प्रोडक्ट से लेकर मग-बाल्टी और कार के पार्ट्स बनेंगे, कितनों को मिलेगी नौकरी, पढ़ें A to Z जानकारी

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बीना28 मिनट पहलेलेखक: संतोष सिंह

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आमतौर पर क्रूड ऑयल का जिक्र पेट्रोल-डीजल के दाम कम-ज्यादा होने पर होता है। अब मध्यप्रदेश में इसी क्रूड ऑयल से प्लास्टिक बनाने की तैयारी की जा रही है। सागर जिले की बीना रिफाइनरी में क्रूड ऑयल (कच्चे तेल) से प्लास्टिक बनाने वाले 49,926 करोड़ रुपए के चार बड़े प्लांट लगाए जाएंगे।

माना जा रहा है कि इन प्लांट लगने के बाद बुंदेलखंड के विकास का पहिया सरपट दौड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर को इन्हीं प्लांट की आधारशिला रखने के लिए बीना आ रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार का दावा है कि बुंदेलखंड में इससे दो लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। इसी दावे की पड़ताल करने के लिए दैनिक भास्कर बीना रिफाइनरी प्लांट पहुंचा।

भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के बीना रिफाइनरी में पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स एंड रिफाइनरी विस्तार परियोजना से कितने लोगों को हकीकत में नौकरी मिलेगी। क्यों इस परियोजना को बुंदेलखंड के लिए क्रांतिकारी माना जा रहा है, पढ़िए सब कुछ।

हमने मध्यप्रदेश के सरकार के दावे की पड़ताल की तो पता चला कि इस बीना पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स को पूरी तरह तैयार होने और चालू होने में कम से कम पांच साल लगेंगे। इस कॉम्प्लेक्स के निर्माण में कई बिल्डिंग और अन्य निर्माण कार्य होंगे, जिन्हें बनाने के लिए आगामी पांच साल के लिए 15 हजार लोगों को अस्थाई काम मिलेगा।

2028 में जब ये कॉम्प्लेक्स तैयार हो जाएगा तो इसके ऑपरेटिंग सहित प्रशासनिक कामों के लिए लगभग 500 लोगों को परमानेंट जाॅब मिलेगा। ये भी तय नहीं है कि ये परमानेंट जॉब मध्यप्रदेश के लिए लोगों के लिए हो, क्योंकि ये सेंट्रल गवर्नमेंट की कंपनी बीपीसीएल का प्रोजेक्ट है। अभी बीना रिफाइनरी में 560 के लगभग कर्मचारी-अफसर कार्यरत हैं। इनके अलावा दो हजार और लोग ठेके पर अलग-अलग विभागों में काम करते हैं।

बीना रिफाइनरी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर चाको एम जोस दावा करते हैं कि बीना पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स बुंदेलखंड की पूरी तस्वीर बदल देगा। यहां बीपीसीएल के पेट्रोकेमिकल्स उत्पादों पर निर्भर डाउन स्ट्रीम उद्योगों से पर्याप्त निवेश लाए जा सकते हैं। यहां पेट्रोलियम, केमिकल एंड पेट्रोकेमिकल्स इन्वेस्टमेंट रीजन (पीसीपीआईआर) बनाया जा सकता है।

इस रीजन में डाउन स्ट्रीम उद्योगों, सहायक और सेवा क्षेत्रों में लगभग एक लाख डायरेक्ट और इन डायरेक्ट रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं। हालांकि इसके लिए राज्य सरकार को पहल करनी होगी। यहां पेट्रोकेमिकल्स आधारित उद्योगों को लाना पड़ेगा।

बीना रिफाइनरी में क्रूड ऑयल (कच्चे तेल) से प्लास्टिक बनाने वाले 49,926 करोड़ रुपए के चार बड़े प्लांट लगाए जाएंगे। इसका निर्माण कार्य पूरा होने में करीब पांच साल लगेंगे।

बीना रिफाइनरी में क्रूड ऑयल (कच्चे तेल) से प्लास्टिक बनाने वाले 49,926 करोड़ रुपए के चार बड़े प्लांट लगाए जाएंगे। इसका निर्माण कार्य पूरा होने में करीब पांच साल लगेंगे।

पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स में 6 तरह के उत्पाद बनेंगे

एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर चाको एम जोस के मुताबिक अभी यहां फ्यूल प्रोडक्ट ही बन रहा था। इस नए प्रोजेक्ट से पेट्रोकेमिकल्स बनेगा। मतलब एचडीपीई, एलडीपीई, पॉली प्रोपलीन, बेंजीन, टोल्यून और मिश्रित ज़ाइलीन जैसे पेट्रोकेमिकल बनेगा। इन उत्पादों की मदद से प्लास्टिक के अलग-अलग श्रेणी के प्रोडक्ट जैसे पाइप, पैकेजिंग, चेयर, टेबल, खिलौने, खाद्य पैकेजिंग, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, मेडिकल इक्यिपमेंट्स, पैकिंग मटेरियल, वाटर टैंक, स्टोरेज कंटेनर, बॉक्स, पानी और गैस के पाइप, खिलौने, फर्नीचर, ड्रिप सिंचाई ट्यूबिंग, बिजली केबल, पेंट, फार्मा, ब्यूटी प्रोडक्ट तैयार किए जा सकते हैं। मतलब इससे जुड़े कई छोटे-बड़े उद्योग इस रीजन में लगाए जा सकते हैं।

इस तरह के प्लास्टिक प्रोडक्ट बनेंगे

इथिलीन क्रैकर कॉम्प्लेक्स- यहां क्रूड ऑयल को गरम कर उससे नेफ्था, एलपीजी, ईथेन, प्रोपेन या ब्यूटेन जैसे तत्व को अलग किया जाएगा। इसी नेफ्था से प्लास्टिक के दाने तैयार होंगे।

एलएलडीपीई (लो डेंसिटी पॉलीएथिलीन) की क्षमता 400 किलो टन प्रति वर्ष होगी। इससे थर्मोकोल तैयार होता है। लेमिनेशन फिल्में, बबल और स्ट्रेच रैप्स, बोरियां, घरेलू सामान, ढक्कन, शॉपिंग टोकरी, ड्रिप सिंचाई ट्यूबिंग, खिलौनी आदि।

एचडीपीई (हाई डेंसिटी पॉलीएथिलीन) की क्षमता 770 किलो टन प्रति वर्ष होगी। इससे कचरा बैग, बैग, घरेलू, खिलौने, फूड स्टोरेज कंटेनर, समुद्री उत्पाद, नाली पाइप, मेज, कुर्सी, ऑटो मोबाइल, बिजली केबल आदि बनाई जाएगी।

पॉली प्राेपलीन– इसकी क्षमता 565 किलो टन प्रति वर्ष होगी। ऑटोमोबाइल पार्ट्स, फर्नीचर, घरेलू सामान, बुने कपड़े, जंबो बैग, कठोर पैकेजिंग, खाद्य पैकेजिंग, भंडारण कंटेनर, पेंट बाल्टी, पाइप आदि।

बेंजीन- इसकी क्षमता 465 किलो टन प्रति वर्ष होगी। इससे प्लास्टिक, रेजिन, सिंथेटिक फाइबर, रबर स्नेहक, रंग, डिटर्जेंट, दवाएं और कीटनाशक बनाया जाता है।

टोल्यून- से पेंट, लैकर, स्याही, चिपकने वाले पदार्थ, रबर और सफाई फार्मास्यूटिकल्स, डाई और कॉस्मैटिक्स नाखून संबंधी उत्पाद सहित कई ब्यूटी प्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं।

मिश्रित जाइलीन-से इत्र, कीटनाशक, फार्मास्यूटिकल्स, पेंटिंग, प्रिंटिंग, रबर और चमड़ा उद्योग में उपयोग किया जा सकता है।

सरकार का दो लाख लोगों को नौकरी देने का दावा (सबसे नीचे) ।

सरकार का दो लाख लोगों को नौकरी देने का दावा (सबसे नीचे) ।

इसलिए बीना में पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स

रेल और सड़क नेटवर्क से मजबूत

बीना में अभी 535 वर्गमीटर क्षेत्रफल के 150 के लगभग प्लाट खाली हैं। उद्योग विभाग के अनुसार यहां प्लास्टिक से जुड़े उत्पाद वाली फैक्ट्रियां लगाई जा सकती हैं। बीना में ही जेपी पावर प्लांट भी है यानी बिजली के लिए कोई परेशानी नहीं होगी। बीना पेट्रोलियम कॉम्प्लेक्स से प्लास्टिक के दाने लाने में परिवहन का खर्च बचेगा। बीना रेलवे का जंकशन भी है। इसकी मदद से तैयार माल देश के किसी भी कोने में आसानी से पहुंचाया जा सकता है। बीना सड़क नेटवर्क से भी मजबूत है। बुंदेलखंड में सबसे अधिक गरीबी और पलायन है। यहां प्लास्टिक आधारित उद्योगों की श्रृंखला खोली जा सकती है। इससे रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे तो पलायन रुकेगा और लोगों की गरीबी भी दूर हो सकती है।

फायदा : 200 मेगावाट बिजली की बढ़ जाएगी खपत

बीना पेट्रोकेमिकल्स से बिजली सेक्टर को भी फायदा होगा। नए प्लांट चलाने के लिए 200 मेगावॉट बिजली की अतिरिक्त जरूरत पड़ेगी। अभी यहां 95 मेगावाट बिजली की खपत हो रही है। अतिरिक्त बिजली के लिए बीपीसीएल राज्य सरकार से एग्रीमेंट करेगी। इसके अलावा केन-बेतवा से पानी भी लेगा। अभी 22 हजार टन किलो लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। नए प्लांट लगने के बाद 15 हजार टन किलो लीटर पानी की और जरूरत पड़ेगी। इसके लिए भी राज्य सरकार से एग्रीमेंट किया जा रहा है। एक किलो लीटर में एक हजार लीटर होता है।

बीना रिफाइनरी के भीतर का दृश्य।

बीना रिफाइनरी के भीतर का दृश्य।

गोल्डन फ्यूचर: रिफाइनरी की जितनी क्षमता वो 400 मीटर के दायरे में हो जाती है खपत

एक अनुमान है कि पेट्रो कैमिकल्स की मांग 2035 तक विश्व में 32 करोड़ मीट्रिक टन पहुंच जाएगी। देश में पेट्रो कैमिकल्स की भारी डिमांड है। अभी तक ज्यादातर मांग विदेशों से आयात कर पूरी होती है। बीना पेट्रोकेमिकल्स से ये मांग पूरी होगी। इससे देश में होने वाले आयात में प्रतिवर्ष लगभग 20 हजार करोड़ रुपए के समतुल्य विदेशी मुद्रा की बचत होगी। इस परियोजना के सफल होने पर मध्य प्रदेश खासकर बुंदेलखंड क्षेत्र में औद्योगिक विकास में क्रांति लाई जा सकती है। यहां बीपीसीएल के पैट्रोकैमिकल्स उत्पादों पर निर्भर डाउन स्ट्रीम उद्योग लागए जा सकते है।

अभी क्या बनता है बीना रिफाइनरी में

बीना के बीपीसीएल के प्लांट में अभी कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) को रिफाइन कर पेट्रोल, डीजल, एलपीजी, केरोसिन, सल्फर और पेप्टिक (ये जलाने के उपयोग में आता है) तैयार होते हैं। इस रिफाइनरी की क्षमता अभी 78 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष है। अब इसकी क्षमता बढ़ाकर 1.1 करोड़ मीट्रिक टन प्रति वर्ष किया जा रहा है। इसके अलावा यहां 320 एकड़ एरिया में पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स का निर्माण प्रस्तावित है। इसमें 1.2 करोड़ मीट्रिक टन वार्षिक क्षमता का एक मॉडर्न ईथिलीन क्रैकर कॉम्प्लेक्स, डाउन स्ट्रीम ईथिलीन प्रोपेलीन आधारित पेट्रोकेमिकल्स संयंत्रों का निर्माण शामिल है। 10 लाख मीट्रिक टन नेफ्था बीपीएल अपने मुंबई स्थित प्लांट से जरूरत के अनुसार लाया जा सकता है। मतलब बीना स्थित पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स में कई ग्रेड के लगभग 22 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष पेट्रोकेमिकल्स का उत्पादन हो सकेगा।

बीना रिफाइनरी के भीतर स्टोरेज कंटेनर।

बीना रिफाइनरी के भीतर स्टोरेज कंटेनर।

935 किमी दूरी से पाइप के जरिए बीना पहुंचता है कच्चा तेल

बीना पेट्रोकेमिकल्स प्लांट में 935 किमी लंबी क्रास कंट्री पाइपलाइन से क्रूड ऑयल पहुंचता है। इस कच्चे तेल को अलग-अलग तापमान पर गरम किया जाता है। इसमें 66 प्रतिशत नेफ्था, 28 प्रतिशत डीसीएल, 5 प्रतिशत एलपीजी और 3 प्रतिशत लाइट गैस तैयार होती है। अब इसी नेफ्था से विभिन्न श्रेणी के प्लास्टिक के दाने बनेंगे। इसका अलग-अलग उत्पाद बनाए जा सकेंगे।

बीपीसीएल दुनिया की 500 बेहतरीन कंपनियों में से एक

भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) विश्व के 500 कंपनियों में शामिल है। ये देश की दूसरी सबसे बड़ी भारतीय तेल विपणन कंपनी है। ये कंपनी कच्चे तेल को रिफाइन करती है और पेट्रोलियम उत्पादों का वितरण करती है। ये अप स्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम दोनों क्षेत्रों में कार्यरत है। इसकी बीना के अलावा मुंबई, कोच्चि में कच्चे तेल की रिफाइनरी है। तीनों रिफाइनरी की कुल क्षमता लगभग 3.53 करोड़ मीट्रिक टन प्रति वर्ष है। इसके वितरण नेटवर्क में 21,000 से अधिक पेट्रोल पंप, 6,200 से अधिक एलपीजी वितरक, 525 ल्यूब वितरक, 123 पीओएल भंडारण, 53 एलपीजी बॉटलिंग प्लांट, 70 एविएशन सर्विस स्टेशन, 4 ल्यूब ब्लेंडिंग प्लांट और 4 क्रॉस-कंट्री पाइपलाइन शामिल हैं। कंपनी ने अगले 5 वर्षों में देश भर में 7000 पेट्रोल पंपों पर इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन तैयार करने की योजना बनाई है।

वापस चलते हैं प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की ओर…

सभा में एक लाख लोगों को बुलाने की तैयारी

बीना के इसी पेट्रोलियम कॉम्प्लेक्स की आधारशिला रखने 14 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी आ रहे हैं। बीना रिफाइनरी से 3 किमी की दूरी पर हड़कखाती में उनकी सभा होगी। इसी सभा स्थल से ही वह पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स एंड रिफाइनरी विस्तार परियोजना का भूमि पूजन करेंगे। इसके लिए 14.53 वर्गफीट में पांच डोम बनाए गए हैं। पूरे सभा स्थल को 126 सेक्टर में बांटा गया है। हर सेक्टर में 900 लोगों के बैठने की क्षमता है। इस हिसाब से 1.13 लाख लोगों के बैठने के लिए कुर्सियां लगाई गई है। पीएम की सभा में निवाड़ी, पन्ना, टीकमगढ़, दमोह, सागर से लोग आ रहे हैं। इसके लिए 3 हजार बसें लगाई गई हैं। पीएम सुबह 11.30 बजे बीना रिफाइनरी हेलीपैड पहुंच जाएंगे।

प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए लगे होर्डिंग्स।

प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए लगे होर्डिंग्स।

पेट्रोलियम कॉम्प्लेक्स का मॉडल भी तैयार

सभा स्थल के पास ही पेट्रोलियम कॉम्प्लेक्स का मॉडल भी तैयार किया जा रहा है। इसमें बताया जाएगा कि अगले पांच साल में क्या-क्या होगा। एक शॉर्ट फिल्म भी तैयार की गई है। इसमें बताया गया है कि कैसे ये पेट्रोलियम कॉम्प्लेक्स बुंदेलखंड की तस्वीर बदल देगा। पीएम के साथ राज्यपाल मंगू भाई पटेल, सीएम शिवराज सिंह, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी मौके पर पहुंच रहे हैं। पीएम दोपहर 12.15 बजे सभा को संबोधित करेंगे।


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