गुरदासपुर3 घंटे पहले
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फायरमैन को श्रद्धांजलि देते परिजन और दूसरे लोग।
अक्सर लोग कहते हैं कि देशभक्ति व राष्ट्र पर मर मिटने का जज्बा सेना की वर्दी पहनने से ही पैदा होता है, मगर कुछ मतवाले देशभक्त ऐसे भी होते हैं जो बिना वर्दी पहने देशभक्ति की ऐसी अलख जगा जाते हैं जिसके बलिदान को देश की भावी पीढ़ी लंबे समय तक याद रखते हुए उन्हें अपना रोल मॉडल मानती है।
ऐसा ही एक नाम आता है भारतीय रेलवे के फायर मैन चमन लाल का, जिन्होंने 1965 की भारत-पाक जंग में गुरदासपुर शहर को तबाह होने से बचाकर 27 वर्ष की आयु में शहादत का जाम पिया था लेकिन आज उन्हें उनका ही रेलवे विभाग भूल चुका है। आज उनको कोई भी रेलवे अधिकारी उन्हें श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचा।
पठानकोट में हुआ जन्म, रेलवे में फायरमैन भर्ती हुए थे
जानकारी देते हुए शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर विक्की व पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन के चेयरमैन रमन बहल ने बताया कि शहीद फायर मैन चमन लाल का जन्म पठानकोट के सीमावर्ती गांव हैबत पिंडी में हुआ था। 7 मार्च 1958 को यह भारतीय रेलवे में बतौर फायर मैन भर्ती हुए। नौकरी के सात सालों बाद ही 1965 में भारत-पाक जंग शुरू हो गई।
पेट्रोल भरी मालगाड़ी पर पाकिस्तान ने अटैक किया
13 सितंबर 1965 को जब फायरमैन चमन लाल गुरदासपुर रेलवे स्टेशन पर तैनात थे तभी पेट्रोल से भरी माल गाड़ी स्टेशन पर आकर रुकी। उसी समय पाकिस्तान के जहाजों ने रेलवे स्टेशन पर बमबारी शुरू कर दी तथा एक बम पेट्रोल से भरी बोगी पर गिरा। जिससे बोगी में आग लग गई।
जान पर खेलकर आग लगी बोगी को अलग ले गए
फायर मैन चमन लाल ने अपनी जान की परवाह किए बिना जलती हुई बोगी को बाकी बोगियों से अलग कर माल गाड़ी को सुरक्षित जगह पहुंचाया। तभी जलती हुई बोगी में भारी विस्फोट हो गया और उसमे बुरी तरह झुलस कर फायर मैन चमन लाल वीर गति को प्राप्त हो गए।
बोगी अलग न करते तो पूरा गुरदासपुर तबाह हो जाता
अगर फायर मैन चमन लाल अपनी जान पर खेलकर जलती हुई बोगी को अलग न करते तो पेट्रोल से भरी माल गाड़ी की सभी बोगियों में हुए विस्फोट से सारा गुरदासपुर शहर तबाह हो जाना था। फायरमैन चमन लाल ने अपनी जान पर खेल कर गुरदासपुर शहर को बचा लिया।
राष्ट्रपति ने किया था सम्मानित
इनकी बहादुरी को देखते हुए देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन ने उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र प्रथम श्रेणी से सम्मानित किया। चेयरमैन रमन बहल ने कहा कि फायरमैन चमन लाल की शहादत को आज भी सारा देश याद करता है।
पत्नी बोली- यह बड़े दुख की बात
शहीद की पत्नी आशा रानी ने बताया कि उनके पति ने गुरदासपुर जिले को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है लेकिन रेलवे विभाग उन्हें भूल चुका है। उन्होंने कहा कि आज उनका श्रद्धांजलि समारोह था लेकिन उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए रेलवे विभाग का कोई भी अधिकारी यहां पर नहीं पहुंचा। उन्होंने बताया कि वह देश के पहले रेलवे विभाग के कर्मचारी हैं, जिन्हें अशोक चक्र प्रथम श्रेणी से सम्मानित किया गया था।
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