Gayaएक घंटा पहले
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प्रतिकात्मक चित्र।
बोधगया टेम्पल मैनेजमेंट कमेटी ने केन्द्र सरकार की नोटिस पर जमा किए 80 लाख, अब वापसी की मांग में जुटी
बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर की देखरेख व आय व्यय का लेखा जोखा रखने वाली कमेटी इन दिनों केंद्र सरकार के नोटिस से हलकान है। बीते दिनों केंद्र सरकार ने महाबोधि मंदिर को मिली दान की राशि का रिटर्न जमा नहीं किए जाने के एवज में 80 लाख रुपये जुर्माना ठोका था। जुर्माना की राशि 4 सितंबर तक जमा करने की अंतिम डेड लाइन थी। केन्द्र सरकार के नोटिस को देखते हुए बीटीएमसी द्वारा आनन फानन में डेड लाइन की डेट में ही यानी 4 सितंबर को 80 लाख जुर्माना की राशि केंद्र सरकार के खाते में जमा कर दी। राशि जमा कराए जाने के साथ ही अब बीटीएमसी उसकी वापसी की प्रक्रिया पूरी करने में जुट गई है। ऐसा बीटीएमसी के पदेन अध्यक्ष जिले के डीएम डॉ. त्यागराजन का कहना है।

उनका कहना है कि वर्ष 2017 से 2022 के बीच में एनुअल रिटर्न दायर नहीं किए जाने की वजह से यह जुर्माना लगा है। चूंकि बीटीएमसी ऑटोनॉमस संस्थान है और यह राज्य सरकार द्वारा संचालित है। उसका एनुअल रिटर्नस दायर करने पर वह माफ होता है। उसी आधार पर वर्ष 2017 से 2022 के बीच का एनुअल रिटर्न का माफ पत्र लगातार भेजा गया था, लेकिन गृह मंत्रालय द्वारा उसे स्वीकार नहीं किया गया तो एफसीआरए निबंधन कराने के हित मे तत्काल जुर्माना राशि का भुगतान बीटीएमसी द्वारा कर दिया गया है। क्योंकि एफसीआरए रिन्यूअल (नवीकरण) करना जरूरी था। गृह विभाग द्वारा 4 सितंबर 2023 को अंतिम डेड लाइन दिया गया था। इसके बाद बीटीएमसी अब फाइन के रूप में जमा किये गए 80 लाख रुपये वापस लेने की विधिवत पहल शुरू कर दी है।

क्यों जारी हुई नोटिस
बोधगया के महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के ऊपर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 80 लाख रुपये का जुर्माना लगाए जाने के पीछे खास वजह है। महाबोधि मंदिर पर फॉरेन करेंसी रेग्युलेटरी एक्ट के तहत यह 80 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। मंदिर पर फॉरेन करेंसी रेग्युलेटरी एक्ट का रजिस्ट्रेशन रिन्यू नहीं कराने और विदेशी मुद्रा दान का रिटर्न नहीं भरने पर यह नोटिस जारी किया गया है। जारी किए गए नोटिस में गृह मंत्रालय ने बीटीएमसी की लापरवाही को बताया है।
महाबोधि मंदिर में दान के रूप में ज्यादातर विदेशी मुद्रा आती है जो करोड़ों में होती है। लेकिन 2017 से लेकर 2020 तक एन्युअल रिटर्न माफी की मांग का हवाला देते हुए रिटर्न नहीं भरा गया। इसके बाद 2020 से 2022 तक कोरोना का कहर बना रहा। इस बीच महाबोधि मंदिर कमेटी की ओर से न तो रिटर्न जमा किए गए और न ही एफसीआरए रिनुअल कराया गया। हालांकि बीटीएमसी का तर्क है कि माफीनामा पत्र बार बार लगाया गया पर उसे स्वीकारा ही नहीं गया।
क्या है एफसीआरए
एफसीआरए विदेशी मुद्रा को दान में लिए जाने का लाइसेंस है, जो केंद्र सरकार द्वारा दिया जाता है। जिस भी संस्थान को यह लाइसेंस इसे दिया जाता है। उसे प्रति वर्ष आय का लेखा जोखा प्रमाण सहित केंद्र सरकार को देना पड़ता है। इसके बाद केंद्र सरकार आये हुए धन के आधार पर संस्थान से रिटर्न लेती है। रिटर्न जमा नहीं करने पर लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है। रद्द किए जाने के बाद से विदेशी मुद्रा का आगमन सम्बंधित संस्थान के खाते में आना बंद हो जाता है।
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