मुजफ्फरपुर5 मिनट पहले
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वसीम की अम्मी को समझाते पड़ोसी।
मुजफ्फरपुर नाव हादसा में 11 वर्षीय वसीम की मौत हो गई। जिसके बाद से ही उसकी अम्मी बदहवास है। वह बार-बार बेहोश हो जा रही। सूचना मिलने के बाद से उनके साथ कोई ना जरूर मौजूद रह रहा। उन्हें कभी पड़ोस के लोग संभाल रहे तो कभी परिजन। उसके शव का अंतिम संस्कार हुए 12 घंटे हो गए। लेकिन, अभी भी उसकी मां मासूमा खातून के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा है।
इस बीच रोते हुए वसीम की अम्मी ने कहा वसीम बोलता था हम भी पढ़ लिखकर चांद मामू की तरह डॉक्टर बनेंगे। तुम हमको पढ़ाओगी ना। हम खूब मेहनत करेंगे।

बार बार हो रही थी बेहोश
वसीम की तस्वीर सीने से लगाए बार- बार बेहोश हो जा रही है। पिछले तीन दिनों से रो- रोकर बुरा हाल है। वसीम की मां की नजर के सामने से बेटे का चेहरा नहीं हट रहा है। रोते- रोते बस एक ही बात कह रही है कि मेरा बेटा डॉक्टर बनना चाहता था। उसके भाई का साला जो डॉक्टर उसको ही अपना आदर्श मानता था। वह हमेशा कहता था कि मां हम चांद मामू की तरह ही डॉक्टर बनेंगे।
वसीम के पिता मो. इस्माइल पढ़ा- लिखा नहीं है। लेकिन, अपने बेटे को पढ़ाने के लिए खूब मेहनत कर रहा था। हमने भी वादा किया था सुख दुख काटकर किसी तरह वसीम को पढ़ाएंगे। वह घर का बड़ा बेटा था। नाव हादसे में वसीम की मौत से उसके पूरे परिवार की खुशियां ही लूट गयी है। अपने भाई बहनों में सबसे बड़ा था। पढ़ने में काफी मेधावी था। मां का कहना है कि अगर उसका बेटा जिंदा रहता तो उसके सपने को पूरा करने के लिए अपनी जान तक लगा देते। वह 6 वी का छात्र था।
घटना के बाद उसके पिता ने बताया की वे घटना के दिन घर से बाहर थे। वे मजदूरी करते है। वसीम घर का बड़ा बेटा था। दो बच्चे और है। वह पढ़ाई करना चाहता था।
मधुरपट्टी गांव में पसरा रहा सन्नाटा, हर चेहरे पर मायूसी
नाव हादसे के बाद से पिछले तीन दिनों से मधुरपट्टी गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। हर तरफ चीख- पुकार मची हुई थी। लेकिन, शनिवार को यह थोड़ी कम हो गयी। अधिकांश पीड़ित परिवार के लोग सदमे में है। कई बीमार हो गए हैं। किसी की लक्ष्मी तो किसी के घर का चिराग इस हादसे ने छीन लिया। लोग उस मनहूस घड़ी को कोस रहे हैं, जिस घड़ी यह नाव हादसा हुआ।
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