बरेली44 मिनट पहले
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आला हजरत उर्स के समापन के समय जायरीनों का सैलाब।
आला हजरत के 105 वें उर्स के आखिरी दिन बरेली शहर की सड़कें जायरीनों से खचाखच भरी रहीं। पुलिस लाइन चौपला से लेकर दरगाह आला हजरत तक करीब 3 किमी तक सड़क पर पैर रखने की जगह नहीं बची। कुतुबखाना रोड, झुमका तिराहा रोड, कोतवाली, दरगाह की तरफ भारी सैलाब है। दरगाह आला हजरत और दरगाह ताजुश्शरिया पदाधिकारियों के अनुसार आज 14 से 15 लाख जायरीन शहर,और मथुरापुर में शामिल रहे।
शांति और सौहार्द के साथ मंगलवार 105 वे उर्स ए रजवी का समापन किया गया। जिसके बाद देश के कोने कोने से आए जायरीन अपने घरों को लौटने लगे। इससे पहले आज शहर के स्कूल कॉलेज बंद रहे। रेलवे स्टेशन, बस अड्डों से लेकर शहर तक जाम ही जाम नजर आया।
कंट्रोल रूम से निगरानी करते रहे अफसर
उर्स को लेकर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त रहे। इसमें 3300 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई। अपर पुलिस महानिदेशक बरेली जोन पीसी मीना, बरेली कमिश्नन सौम्या अग्रवाल, आईजी डॉ राकेश कुमार, डीएम शिवाकांत द्विवेदी और एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान नगर निगम बरेली में स्थापित ICCC (इन्टीग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कंट्रोल सेन्टर) के माध्यम से सुरक्षा व यातायात व्यवस्थाओं का जायजा लेते रहे।

चौपला पुल से लेकर दरगाह तक पैर रखने की भी जगह सड़क पर नहीं बची।
काजी ए हिन्दुस्तान की दुआ पर उर्स का समापन
जमात रजा ए मुस्तफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान मियां ने बताया कि 105 वा उर्से रिज़वी में हुजूर काईद ए मिल्लत ने इल्मी तालिमात पर जोर दिया। उर्स में बाहर से आये लाखों अकीदतमन्द हुजूर काईद ए मिल्लत की दुआ व दीदार करके अपने घरों को इस उम्मीद के साथ वापस लौटने लगे कि अगले साल फिर बरेली शरीफ उर्स मे हाजिर होंगे l
अलग अलग ब्रांचों ने संभाली व्यवस्थाएं
जमात रज़ा ए मुस्तफ़ा के राष्ट्रीय महासचिव डॉ फरमान मियां ने बताया कि जमात रजा ए मुस्तफा की ब्रांचों व वारियर्स ने उर्स को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। फरमान मियां ने बताया कि उर्स में जमात रज़ा ए मुस्तफ़ा की देशभर की तमाम ब्रांचे खासकर बरेली शरीफ की ब्रांचों व वारियर्स ने उर्स मे अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाई।

इस्लामिया से निकले जायरीन।
हिंदुस्तानी मुसलमानों के पूर्वज हिंदू नही: मुफ्ती सलीम नूरी
कुल शरीफ के बाद तीन रोज़ा उर्स का समापन हो गया। सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने मुल्क -ए-हिंदुस्तान समेत दुनियाभर में अमन-ओ-सुकून व खुशहाली की ख़ुसूसी दुआ की। आज की महफ़िल का आगाज़ दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती, सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) की सदारत में हुआ।
अपनी तकरीर में मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा आज हिंदुस्तान भर में मीडिया व सोशल मीडिया पर साजिश के तहत पैगाम दिया जा रहा है कि हिंदुस्तानी मुसलमानो के पूर्वज हिन्दू थे। मैं इस जिम्मेदार स्टेट से कहना चाहता हूं कि हिंदुस्तानी मुसलमानों के पूर्वज मुसलमान थे। हमारा डीएनए हज़रत आदम अलेहअस्सलाम का है। हम कुरान और हदीस के मानने वाले है।

खचाखच भरा उर्स स्थल।
हिंदुस्तानी मुसलमान गौर से सुन लें हमारे पूर्वज हिन्दू नही मुसलमान थे। मुसलमान इस मुल्क में किरायेदार नही बल्कि मालिक की हैसियत से है। हम इस मुल्क में खैरात में नही रह रहे है। हमारा मुल्क एक जम्हूरी ( लोकतांत्रिक)मुल्क है,ये मुल्क जितना गैर मुस्लिमो का है उतना ही मुसलमानों का भी है। जो जितना सच्चा मुसलमान होगा उतना वो अपने मुल्क का वफादार होगा।
मुसलमानों ने भी मुल्क की आज़ादी में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। अब्दुल हमीद, टीपू सुल्तान,अल्लामा खैराबादी समेत हजारों मुसलमानो ने अपने लहू से कुर्बानी दी। सियासी पार्टियां अपने सियासी फायदे के लिए देश में हिंदू-मुस्लिम के बीच खाई पैदा करने का काम कर रही है। मुसलमान नफरत का जवाब फूलों से दे। मुल्क भर में हिंदू मुसलमान कमेटियां बनाकर इस नफरत की खाई को पाटने की कोशिश करे।
इंग्लैंड के कादरी भी बोले
इंग्लैंड से आए अल्लामा फारोग उल क़ादरी ने कहा कि इल्म का दौर है। मुसलमान अपने बच्चों को मौलाना,मुफ्ती के साथ बैलिस्टर, इंजीनियर और डॉक्टर बनाए। आगे कहा कि मुसलमानों तुम नाज़ करो कि अल्लाह ने तुम्हे हिंद की धरती पर पैदा किया जहा आला हज़रत की जात है। जिसने अपने इल्मी कारनामों से इस्लामी जगत को हैरान कर दिया। आपकी नात गोई पूरी तारीख में कही नही मिलती।

यह फोटो मथुरापुर स्थित जामिआतुर्ररजा की है।
यह रहे मौजूद
दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां की ओर से सभी उलेमा की दस्तारबंदी शाहिद नूरी, परवेज नूरी, औरंगज़ेब नूरी, ताहिर अल्वी, अजमल नूरी, डॉ मेहंदी हसन, हाफिज इकराम, मोइन खान शमीम अहमद, मौलाना शम्स, मौलाना कलीमुद्दीन रहे।
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