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मुंबई23 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर को शिवसेना के 56 विधायकों की अयोग्यता पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि आप इस मामले पर फैसला लंबे समय तक टाल नहीं सकते।
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर शिवसेना के दोनों गुटों की तरफ से विधायकों की अयोग्यता को लेकर दाखिल याचिकाओं पर आज 12 अक्टूबर को सुनवाई करेंगे। स्पीकर ने पहले सुनवाई के लिए 13 अक्टूबर की तारीख तय की थी, लेकिन उस दिन उन्हें दिल्ली में G20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन (P20) में भाग लेना है, इसलिए राहुल ने सुनवाई की तारीख बदल दी।
इससे पहले स्पीकर ने 14 सितंबर को विधानसभा के सेंट्रल हॉल में मामले की सुनवाई की थी। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, सुनवाई के बाद शिंदे गुट के वकील अनिल साखरे ने मीडिया से कहा था- हमें उद्धव गुट की ओर से दस्तावेज नहीं मिले हैं।
जवाब में ठाकरे गुट के विधायक रवींद्र वायकर ने कहा था कि यह शिंदे गुट की रणनीति का हिस्सा है। यह विधानसभा अध्यक्ष का काम है कि वो दोनों गुटों को मामले से जुड़े दस्तावेज मुहैया कराएं। हम चाहते हैं कि इस मामले में 34 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, सबको जोड़कर एक साथ सुना जाए।

14 सितंबर को मामले की सुनवाई के लिए शिवसेना के दोनों गुटों के 56 विधायक विधानसभा के सेंट्रल हॉल में पेश हुए थे।
स्पीकर ने कहा था- अयोग्यता पर फैसला में जल्दबाजी नहीं करूंगा
स्पीकर ने 21 सितंबर को कहा था कि मैं शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने में देर नहीं करूंगा, लेकिन इस मामले में जल्दबाजी भी नहीं करूंगा। उन्होंने कहा- जल्दबाजी करना मिसकैरेज ऑफ जस्टिस हो सकता है। मैं जो भी फैसला लूंगा, संवैधानिक होगा।
विधानसभा स्पीकर ने मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के 3 दिन बाद पत्रकारों से बात करते हुए यह बातें कहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर को शिवसेना शिंदे गुट के 16 और उद्धव गुट के 40 विधायकों की अयोग्यता पर सुनवाई की थी।
कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि आप इस मामले पर फैसला लंबे समय तक टाल नहीं सकते। आपको इसकी समय सीमा तय करनी होगी। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर पर छोड़ा था सदस्यता का फैसला
एकनाथ शिंदे गुट के 16 बागी विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला सुनाया था। इसमें कोर्ट ने बागी विधायकों की सदस्यता पर फैसला स्पीकर पर छोड़ दिया था।
वहीं, उद्धव ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले पर फिर से विचार करने की अपील की थी। उन्होंने याचिका में तर्क दिया था- विधानसभा अध्यक्ष मामले को जानबूझकर टाल रहे हैं।

पिछले साल एकनाथ शिंदे ने बगावत की थी
शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में पार्टी से बगावत की थी। इसके बाद शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद शिंदे ने शिवसेना पर अपना दावा कर दिया।
16 फरवरी 2023 को चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मान लिया। साथ ही शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चिह्न (तीर-कमान) को इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी। उद्धव गुट ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
पढ़िए इस घटनाक्रम के सबसे अहम दिनों की कहानी…

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