लखनऊ36 मिनट पहले
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उत्तर प्रदेश में स्कूलों के बच्चों के शोषण को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी बीएसए को निर्देश जारी किए हैं और प्रदेश के सभी जिलों के स्कूलों में तय गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करने के दिए आदेश है।
शोषण के मामलों में प्रधानाचार्यों और शिक्षकों का होगा उत्तरदायित्व
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने छात्रों की शिक्षा के साथ ही उनकी सुरक्षा को लेकर भी शिक्षा विभाग को निर्देश किया है। सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत बच्चों के शारीरिक व मानसिक शोषण एवं यौन उत्पीड़न संबंधी घटनाओं को रोकने के लिए तय गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं। वही निर्देश में यह भी कहा गया है कि शोषण के मामलों में प्रधानाचार्य शिक्षकों समेत अन्य जिम्मेदारों का उत्तरदायित्व होगा।
सभी जिलों के बीएसए को जारी किए गए निर्देश
बेसिक शिक्षा विभाग के राज्य परियोजना निदेशक विजय किरण आनंद ने प्रदेश के सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर इस संबंध में कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसमें कहा गया है कि समस्त प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कंपोजिट विद्यालयों एवं कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में गाइडलाइंस का पालन किया जाए। साथ ही सभी प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों, स्टाफ, वार्डेन एवं विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों को भी इन गाइडलाइंस का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराएं।
23 फरवरी 2015 में सरकार के द्वारा बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा को लेकर एक गाइडलाइन जारी की गई थी जिसका उद्देश्य प्रदेश में बच्चों की सुरक्षा संरक्षित करने तथा बाल अपराध एवं असंवैधानिक कृतियों की रोकथाम और स्कूल जाने वाले बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक उत्पीड़न से रक्षा करना है। साथ ही इसमें शैक्षणिक संस्थानों का उत्तरदायित्व भी निर्धारित किया गया था। उसी गाइडलाइन को अब सख्ती से लागू किया जाएगा।
स्कूल कैंपस समेत सभी जगह सुरक्षित माहौल के लिए दिए गए सुझाव
प्रदेश के प्रत्येक विद्यालय के प्रबंधतंत्र/स्कूल मैनेजमेंट कमेटी एवं प्रधानाचार्यो का यह दायित्व है कि विद्यालय परिसर में या विद्यालय आते-जाते अथवा विद्यालय से बाहर फील्ड विजिट में इस प्रकार का वातावरण तैयार करें जो बच्चों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करे । इसके साथ ही छात्र एवं छात्राओं का किसी प्रकार का शारीरिक एवं मानसिक एवं यौन शोषण न हो। इसमें विद्यालय प्रांगण को सुरक्षित बनाने के लिए भी कई तरह के उपाय बताए गए हैं। इसमें स्कूल बसों में जीपीआरएस सिस्टम के साथ ही ड्राइवर व हेल्पर के वेरिफिकेशन की अनिवार्यता रखी गई है। साथ ही बस के अंदर चाइल्ड हेल्पलाइन और वूमेन हेल्पलाइन नंबर तथा पुलिस स्टेशन का नंबर लिखा होना चाहिए। प्रत्येक बस में दो टीचर की इस प्रकार व्यवस्था होनी चाहिए जो बच्चों के साथ स्कूल में बस से आवागमन करेंगे। बच्चों में परस्पर समन्वय एवं जागरूकता के लिए अभियान चलाने के भी निर्देश हैं, जबकि विभिन्न संस्थाओं की मदद लेने और अन्य उपायों की जानकारी दी गई है।
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