फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ से बड़े परदे पर उतरीं अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह अरसे बाद फिर से कैमरे के सामने है। ट्रेलर रिलीज के बाद से ही फिल्म ‘गैसलाइट’ में उनके किरदार की इन दिनों हर तरफ चर्चा है। चित्रांगदा सिंह की ‘अमर उजाला’ से एक खास बातचीत।
आपकी फिल्म ‘गैसलाइट‘ सीधे ओटीटी पर रिलीज हो रही है, एक कलाकार के तौर पर आपको इससे फायदा मिलता है कि आपका अभिनय पलक झपकते कोई कहीं भी बैठकर देख सकता है?
इस बात में कोई शक नहीं कि थियेटर में रिलीज फिल्मों का अपना अलग अनुभव होता ही है लेकिन सिनेमा भी कारोबार है और हर कारोबारी अपने नफे के अनुसार तय करता है कि फिल्म कहां रिलीज करनी चाहिए? पहले थियेटर में ही फिल्में रिलीज करना मजबूरी थी। अब ऐसा नहीं है। डिजिटल क्रांति ने बाकी उद्योगों की तरह मनोरंजन पर भी असर डाला है। इसका सबसे अधिक असर उन दूरस्थ इलाकों के दर्शकों को हुआ है, जिनके पास सिनेमाघरों की सुविधाएं नहीं रही हैं।
आप भी तो निर्माता हैं, सुना है फिल्म ‘सूरमा‘ के बाद फिर कोई फिल्म बनाने की तैयारी कर रही हैं?
फिल्म ‘सूरमा’ को बनाने का अनुभव बहुत अच्छा रहा। उस फिल्म की कहानी सुनते ही मेरा फिल्म बनाने का मन हो गया था। अभी फिर उसी तरह की एक और स्क्रिप्ट मिली है जिस पर काम चल रहा है। मैं फुलटाइम फिल्म निर्माता नहीं हूं। बस पटकथा सुनकर उत्साहित हो जाती हूं। अपनी अगली फिल्म का एलान हम जल्द करने वाले हैं। मैं दिल से काम करने वाली कलाकार हूं। जैसे अभिनय किसी किरदार पर दिल आने पर करती हूं, वैसे ही फिल्म निर्माण भी तभी करती हूं जब मेरा दिल किसी कहानी पर आ जाए।
और बतौर अभिनेत्री फिल्म ‘गैसलाइट’ के बाद क्या करने वाली हैं?
मैं बहुत ज्यादा काम के पीछे भागती नहीं हूं। मुझे मेरी पसंद का काम चाहिए। प्रस्ताव तो रोज ही कोई न कोई आता रहता है। लेकिन प्रस्ताव और पसंद का तालमेल मेरे लिए बहुत जरूरी है। बीच में कुछ साल व्यक्तिगत वजहों से भी फिल्मों से दूर रहना पड़ा। हां, उस दौरान जरूर मुझे पसंद होते हुए भी कुछ फिल्में छोड़नी पड़ीं। ‘गैसलाइट’ के बाद मेरी अगली फिल्म अगले महीने से शुरू होने वाली है। इस बारे में अभी ज्यादा कुछ तो नहीं बता सकती लेकिन ये किरदार मेरी पसंद का है और इसके लिए मैं फिर एक बार खुद को चुनौती दी है। मुझे उम्मीद है कि दर्शकों को इस फिल्म में मेरा काम बहुत पसंद आएगा।
फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी‘ के सबक और साथी याद हैं आपको?
फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ में गीता राव का मेरा किरदार मेरे जीवन की चंद खुशनुमा यादों में शामिल है। मैं कहीं भी जाऊं, लोग आज भी मुझे इस किरदार के नाम से पुकार लेते हैं। ये फिल्म जिस दौर में बनी, तब मेरे अंदर अनुभव कम और जुनून ज्यादा था। मुझे अभिनय के बारे में ज्यादा पता भी नहीं था। ये कहते सकते हैं कि फिल्म फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ अभिनय की मेरी पहली पाठशाला बनी। शाइनी आहूजा भी थे उस फिल्म में। स्वानंद किरकिरे, शांतनु मोइत्रा, रुचि नारायण, इन सबकी भी ये फिल्म एक तरह से पाठशाला ही रही।